- तुलसी टावरी
दरबार नहीं, सरकार बने !
तुम राजकुंवर हम मूढ़ प्रजा, तुमको बस हुक्म जताना है;
जन्मे तुम राजघराने में, सीधे पीएम बन जाना है !
हम बैठ परीक्षा पास करें, जीवन जीने संग्राम करें;
मेहनत कर पेट भरें अपना, प्रतिभा से पूर्ण करें सपना;
हमको हर बार कमाना है, जन्मे तुम राजघराने में,
सीधे पीएम बन जाना है !
क्या हुआ नहीं तुम पढ़ पाये, क्या हुआ नहीं कुछ बन पाये
तुम जन्म लिये, अवतार हुआ, भारत पर फिर उपकार हुआ;
होना ही क्या कम बात तेरी, हम सेवक, शीश नवाना है,
जन्मे तुम राजघराने में,
सीधे पीएम बन जाना है !
सत्तर वर्षों की गाथा ये, अब भी ग़ुलाम सब बने हुए;
जो स्वाभिमान पे जीते हैं, पग पग गढ्ढों में धँसे हुए;
ऐसा सिस्टम निर्माण किया, प्रतिभा पर तुमने वार किया,
जो चाटुकारिता करते हैं, वो दरबारी ही बढ़ते हैं;
लूटो और बाँटों मंत्र यही, कायरता को ललचाना है,
जन्मे तुम राजघराने में,
सीधे पीएम बन जाना है !
इस बार मगर तुम धोखे में, दरबार नहीं लग पाना है;
युवा पीढ़ी ने ठान लिया, ये खेल नहीं दोहराना है;
कोई भी माँ से जन्मा हो, हर जाति धरम, बस सच्चा हो;
अब बिना रीढ़ के बंदों से, संसद को मुक्त कराना है;
जन्मे तुम राजघराने में,
दुर्लभ पीएम बन पाना है !
भारत में फिर से प्रतिभा का, खोया परचम लहराना है;
अब बिना रीढ़ के बंदों से,
संसद को मुक्त कराना है !